देहरादून: प्रसिद्ध साहित्यकार उत्तराखंड साहित्य गौरव महावीर रवांल्टा को एक और बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है। यह सम्मान देश के प्रतिष्ठित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की ओर से दिया जा रहा है। इसके लिए देशभर के साहित्यकारों की ओर से आवदेन किए गए थे। चयन समिति की समीक्षाओं के बाद महावीर रवांल्टा के हिन्दी भाषा के लिए योगदान को देखते हुए उनका चयन किया गया।
हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान
यह सम्मान हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जाता है। महावीर रवांल्टा का यह सम्मान 29 सितंबर को हिंदी पखवाड़ा समापन के मौके पर पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक प्रदान करेंगे। निदेशक प्रो. पीबीवी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की ओर से हर साल श्री रघुनाथ कीर्ति सेवा सम्मान प्रदान किया जाता है।
जानें कौन हैं महावीर रवांल्टा
उत्तराखंड के समकालीन साहित्यकारों में महावीर रवांल्टा ने विशिष्ट पहचान बनाई है। महावीर रवाल्टा गद्यकार, अभिनेता और कवि हैं। उन्होंने अपने साहित्य में लोक को सबसे ज्यादा स्थान दिया। अपने आसपास की घटनाओं को उन्होंने अपना विषय चुना। पहाडी लोकजीवन की ऐसी गहरी समझ किसी और में नहीं देखाई देती है। अब तक उनकी विभिन्न विधाओं में 43 पुस्कतें प्रकाशित हो चुकी हैं।
लोक के प्रति प्रेम
अपने लोक के प्रति उनका प्रेम उनकी रचनाओं में साफ नजर आता है। रवांई क्षेत्र की संस्कृति, लोकजीवन, लोकपरंपराओं और लोकगीत भी कहीं ना कहीं उनकी रचनाओं में अपनी जगह बना ही लेते हैं। महावीर रवांल्टा साहित्य विभिन्न विधाओं को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, रवांल्टी कविता संग्रह, लोक कथाएं और बाल साहित्य भी रचा है।
दरवालु जनलहर में प्रकाशित
महावीर रवांल्टा का जन्म सरनौल गांव में 10 मई 1966 को हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव और फिर उत्तरकाशी में हुई। 1995 में पहली रवांल्टी कविता दरवालु जनलहर में प्रकाशित हुई। देशभर की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं मे रचनाओं का प्रकाशन लगातार हो रहा है।
आकाशवाणी और दूरदर्शन में प्रसारण
आकाशवाणी और दूरदर्शन में प्रसारण का सिलसिला भी जारी है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयो में इनके साहित्य पर लघु शोध और शोध कार्य हो चुके हैं। महावीर रवांल्टा का कहना है कि साहित्य, संस्कृति और लोक भाषा हमारी पहचान है। पहाड़ की विकटता को करीबी से देखा और जाना है।
रवांल्टी को संरक्षित करने का काम
महावीर रवांल्टा ने हिन्दी साहित्य के साथ लोकभाषा रवांल्टी को संरक्षित और संवर्धित करने का काम किया है। उन्होंने रवांल्टी में लेखन के लिए एक टीम तैयार की। आकाशवाणी से लेकर दूरदर्शन और विभिन्न मंचों पर भी रवांल्टी को कविताओं में रूप में पहुंचाया। रवांल्टी भाषा आंदोलन का असर भी देखने को मिल रहा है। रवांल्टी में लिखने में दिलचस्पी बढ़ी है। सोशल मीडिया में बहुत सारे लोग लगातार लिख रहे हैं।
अब तक मिले ये सम्मान
- सैनिक एवं उनका परिवेश विषय पर अखिल भारतीय कहानी लेखन प्रतियोगिता में अवरोहण कहानी के लिए कानपुर (उत्तर प्रदेश) में परमवीर चक्र विजेता ले. कर्नल धन सिंह थापा सुप्रसिद्ध उद्घोषक पद्मश्री जसदेव सिंह और एयर मार्शल आरसी वाजपेयी के हाथों पहली बार सम्मान मिला।
- स्व. वेद अग्रवाल स्मृति सम्मान (मेरठ)।
- सेठ गोविन्द दास सम्मान (जबलपुर)।
- डॉ. बाल शौरि रेड्डी सम्मान (उज्जैन)।
- स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान (रांची)।
- यमुना घाटी का प्रतिष्ठित तिलाड़ी सम्मान (बड़कोट)।
- जनधारा सम्मान (नैनबाग)।
- अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण (भोपाल)।
- उत्तराखण्ड शोध संस्थान रजत जयंती सम्मान हल्द्वानी।
- कमलराम नौटियाल स्मृति सम्मान (उत्तरकाशी)।
- तुलसी साहित्य सम्मान (भोपाल)।
- उत्तरखंड फिल्म, टेलीविसिओ एवं रेडियो एसोसिएशन की ओर से सम्मान (देहरादून)।
- युवा लघु कथाकार सम्मान (दिल्ली)।
- बाल साहित्य संस्थान (अल्मोड़ा)।
- बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र (भोपाल)।
- उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान (खटीमा)।
- उत्तराखंड भाषा संस्थान का प्रतिष्ठित उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान-गोविंद चातक सम्मान।
- रवांई लोक महोत्सव में बर्फिया लाल जुवांठा सम्मान।
- श्रीदेव सुमन सम्मान मिला।
- बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा की ओर से बाल साहित्य के लिए सम्मानित।
- अमर उजाला की ओर से उत्तराखंड उदय सम्मान।