Home उत्तराखंड फरासू भूस्खलन जोन : समय रहते अस्थायी ट्रीटमेंट होता तो राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं होता वॉशआउट, लगातार शिकायतों के बावजूद एनएच विभाग की लापरवाही पर जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता को दिए थे स्पष्ट निर्देश, सख़्त कार्रवाई ने एनएच की मनमानी के खिलाफ जगायी उम्मीद

फरासू भूस्खलन जोन : समय रहते अस्थायी ट्रीटमेंट होता तो राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं होता वॉशआउट, लगातार शिकायतों के बावजूद एनएच विभाग की लापरवाही पर जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता को दिए थे स्पष्ट निर्देश, सख़्त कार्रवाई ने एनएच की मनमानी के खिलाफ जगायी उम्मीद

by apnagarhwal.com
  • जनता, पुलिस, एसडीएम व मीडिया की लगातार शिकायतों के बावजूद एनएच विभाग की लापरवाही पर जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता को दिए थे स्पष्ट निर्देश
  • तीन माह बाद भी समाधान नहीं; मात्र 50 मीटर के पैच के लिए एनएच के चक्कर काटते रहे लोग
  • जिलाधिकारी की सख़्त कार्रवाई ने एनएच की मनमानी के खिलाफ उम्मीद जगायी

श्रीनगर : ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच फरासू क्षेत्र में भूस्खलन की समस्या वर्षों से गंभीर बनी हुई थी। पहाड़ से मलबा गिरना और अलकनंदा नदी द्वारा कटाव से हाईवे लगातार प्रभावित हो रहा था। चारधाम यात्रा का मुख्य मार्ग होने के बावजूद संबंधित विभाग ने समय पर कोई अस्थायी सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए, जिससे अंततः 11 सितम्बर को सड़क धंसाव से यातायात बाधित हो गया।

इस आशय से 29 मई को उपजिलाधिकारी श्रीनगर की ओर से राजस्व निरीक्षक द्वारा मौके की जांच कराई गई थी। राजस्व निरीक्षक की निरीक्षण रिपोर्ट तत्काल कार्रवाई हेतु अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को भेज दी गई थी। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली द्वारा भी कई बार ई समस्या से अवगत कराया गया था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर प्रशासन लगातार भूस्खलन जोन के अस्थायी ट्रीटमेंट के लिए निर्देशित करता रहा, लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया तथा विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी। 300 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग पर मात्र 50 मीटर के समाधान हेतु आम जनता महीनों तक चक्कर लगाती रही। स्थानीय जनता, पुलिस प्रशासन, मीडिया और सोशल मीडिया में कई बार चेतावनी दी गयी, लेकिन विभाग की लापरवाही जारी रही।

स्थिति की गंभीरता देखते हुए 18 अगस्त को जिलाधिकारी ने स्वयं भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण कर 19 अगस्त को विभाग को पत्र भेजकर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। बावजूद इसके, एनएच विभाग ने तीन महीने तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। यदि समय रहते अस्थायी ट्रीटमेंट कर लिया जाता, तो सड़क धंसाव से व्यापक नुकसान और यातायात बाधित होने जैसी स्थिति से बचा जा सकता था।

पूरे जिले में आपदा के दौरान सभी अधिशासी अभियंताओं ने तत्परता से काम किया, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारी की बार-बार चेतावनी के बावजूद कार्य न करना गंभीर लापरवाही और हठधर्मिता है। अब प्रशासन की सख़्त कार्रवाई ने एनएच विभाग की मनमानी के खिलाफ लोगों में उम्मीद जगायी है कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोहराई नहीं जाएगी।

Related Posts

Leave a Comment