एमपी एमएलए कोर्ट ने धोखाधड़ी और जालसाजी के 22 साल पुराने मामले में बढ़ाई कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह की मुश्किलें

भोपाल। मध्य प्रदेश के एमपी एमएलए कोर्ट ने वर्ष 2002 के एक मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया के खिलाफ जाँच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने 22 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे राजा पटेरिया के खिलाफ एमपी नगर पुलिस को जाँच के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने पुलिस को मामले की जाँच आख्या 15 जुलाई तक पेश करने के निर्देह भी दिए हैं। यह पूरा मामला सरकार को आर्थिक हानि पहुँचाने का है। साल 2002 में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे राजा पटेरिया के सत्य साईं कॉलेज के तत्कालीन संचालक सुनील कपूर के साथ मिलकर धोखाधड़ी की थी। एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश तथागत याग्निक ने एमपी नगर पुलिस को जाँच के आदेश जारी कर 15 जुलाई तक जाँच आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

मामले की सुनवाई परिवादी  वरिष्ठ पत्रकार राधावल्लभ शारदा की ओर से अधिवक्ता यावर खान द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर उक्त आदेश दिए गए हैं। मामले में भोपाल के एक निजी कॉलेज को विशेष फायदा पहुँचाने के लिए ईओडब्ल्यू ने दोनों को आरोपी बनाया था। यह आरकेडीएफ कॉलेज से अवैध रूप से 24 लाख रुपए की फीस माफ करने का मामला था।

इस मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव आदित्य विजय सिंह ने अपनी नोट शीत में लिखा था कि आरकेडीएफ कॉलेज के जुर्माने को माफ किया गया तो इससे अन्य संस्थानों को गलत संदेश जाएगा। इसको नजर अंदाज करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ना केवल आरकेडीएफ कॉलेज की फीस माफ की वरन इसमें अपने हाथ से जालसाजी करते हुए सत्य साईं कॉलेज का नाम अवैध रूप से जोड़ते हुए उसकी भी ग्यारह लाख रुपयों की फीस माफ के आदेश कर दिए। जिसके कारण शासन को लगभग तीन लाख रुपयों की हानि हुई थी।

 

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