देहरादून : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत राज्य में संचालित परिवार नियोजन सेवाओं पर राज्य स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत सरकार के द्वारा परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत मां और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिये गर्भधारण का स्वस्थ समय और अन्तर पर महत्ता देते हुए परिवार नियोजन सेवाओं में काउन्सिलिग की महत्वता और लम्बे अन्तराल एवं छोटे अन्तराल की विधियों की तकनीकी जानकारी दी गयी जो कि अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण (आई.यू.सी.डी.), प्रसवोत्तर अंतर्गर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण (पी.पी.आई.यू.सी.डी.), अंतरा इंजेक्शन, ओरल पिल्स, छाया ई.सी. पिल्स आदि नामों से प्रचलित है।
राज्य में परिवार नियोजन के क्षेत्र में उत्कृष्टता और जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु कार्यशाला का उद्देश्य प्रदेश में परिवार नियोजन के महत्व और प्रभावी योजनाओं की जानकारी प्रदान करना रहा। कार्यशाला में परिवार नियोजन से जुड़े नीतिगत विषयों, स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार और समुदाय में जागरूकता फैलाने के प्रभावी तरीकों पर जानकारी साझा की गई। कार्यशाला में जनपद स्तर पर किये गये कार्यो के सापेक्ष उपलब्धि के आधार पर कार्य मूल्यांकन के उपरान्त जनपद पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, टिहरी एवं अन्य सभी जनपदीय सेवा प्रदाताओं को पुरूस्कृत भी किया गया।
कार्यशाला में भारत सरकार के डॉ. अनुपमा प्रसाद, डिप्टी कमिश्नर, स्वास्थ्य मंत्रालय एवं डॉ. मिथुनदत्ता, कन्सल्टेन्ट सहित डॉ. सुनीता टम्टा निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखण्ड, डॉ. नरेन्द्र शर्मा निदेशक राष्ट्रीय कार्यक्रम, चि.स्वा. एवं प.क., डॉ. मनु जैन, निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉ. उमा रावत, सहायक निदेशक परिवार नियोजन एन.एच.एम. एवं राज्य में सुरक्षित गर्भपात की मास्टर प्रशिक्षक डॉ. मेघना असवाल और समस्त जनपदों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।