UPSC में नहीं होगी सीधी भर्ती! लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार का यूटर्न

नई दिल्ली :  केंद्र सरकार ने UPSC में लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है। मंत्री ने UPSC की तरफ से सीधी भर्ती (लेटरल एंट्री) से जुड़े विज्ञापन को रद्द करने के लिए कहा है।

जितेंद्र सिंह ने चिट्ठी में कहा है कि सैद्धांतिक तौर पर सीधी भर्ती की अवधारणा का समर्थन 2005 में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग की तरफ से किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वीरप्पा मोइली की तरफ से की गई थी। हालांकि, लेटरल एंट्री को लेकर कई हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं। 

UPSC अध्यक्ष को लिखा पत्र

  1.  ”2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री का सैद्धांतिक अनुमोदन किया था। 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं। हालांकि, इससे पहले और इसके बाद लेटरल एंट्री के कई हाई प्रोफाइल मामले रहे हैं।” 
  2. ”पूर्ववर्ती सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों, UIDAI के नेतृत्व जैसे अहम पदों पर आरक्षण की नियुक्ति के बिना लेटरली एंट्री वालों को मौके दिए जाते रहे हैं।”
  3. ”यह भी सर्वविदित है कि ‘बदनाम’ हुए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य सुपर ब्यूरोक्रेसी चलाया करते थे, जो प्रधानमंत्री कार्यालय को नियंत्रित किया करती थी।”
  4. ”2014 से पहले संविदा तरीके से लेटरल एंट्री वाली ज्यादातर भर्तियां होती थीं, जबकि हमारी सरकार में यह प्रयास रहा है कि यह प्रक्रिया संस्थागत, खुली और पारदर्शी रहे।”
  5. ”प्रधानमंत्री का यह पुरजोर तरीके से मानना है कि विशेषकर आरक्षण के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में संविधान में उल्लेखित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप लेटरली एंट्री की प्रक्रिया को सुसंगत बनाया जाए।”

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में लेटरल एंट्री के जरिये से केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में 45 पदों पर संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उपसचिवों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसका कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विरोध किया। विपक्ष का आरोप था कि यह OBC, SC और ST के आरक्षण को दरकिनार करता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *