जल ही जीवन हैं
देहरादून : आइए, प्रकृति के जीवनदायक अमूल्य उपहार ‘जल’ की प्रत्येक बूँद को संरक्षित करने हेतु संकल्पित हों।
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये ना ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
इस दोहे में रहीम ने जल यानि पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब आत्मसम्मान से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य का आत्मसम्मान (पानी) रहना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (आत्मसम्मान) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।
कृपया संकल्प लीजिए कि हम न सिर्फ पानी बचाएंगे बल्कि दूसरों को जागरुक भी करेंगे , क्योंकि बिन पानी सब सून है…. आज भी भारत के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोग पानी की कमी के कारण बेहद कष्टप्रद जीवन जी रहे हैं। इनमें बंगलुरू, चेन्नई, और महाराष्ट्र और राजस्थान के कई इलाके हैं।
अफ्रीका के केप टाउन में नए जल प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है। वहाँ प्रति व्यक्ति प्रति दिन 13 गैलन पानी का उपयोग करने तक सीमित हैं। यह 90 सेकंड के शॉवर, आधा गैलन पीने के पानी, हाथ से बर्तन धोने या कपड़े धोने के लिए एक सिंक, एक बार भोजन पकाने, दो बार हाथ धोने, दो बार दांत ब्रश करने और एक टॉयलेट फ्लश के लिए पर्याप्त है। सूखे कंपोस्टिंग शौचालय के पक्ष में दैनिक फ्लश को त्यागकर अतिरिक्त पानी बचाया जा सकता है। इससे बुरा और क्या हो सकता है? हमारा भी यही हाल होने में कोई देर नहीं है
वहीं दूसरी ओर हम पानी का अनजाने ही दुरुपयोग कर रहें हैं:
- जब कोई अतिथि हमारे घर आये तो उसको पानी से भरा हुआ देकर सम्मानित न करें। कई बार वे घूँट भर कर पानी छोड़ देतें हैं, जो व्यर्थ चला जाता है। अतः या तो आधा गिलास पानी देवें या जग भरकर साथ में रख देवें।
- अपने नलों को किसी भी दशा में लीक न होने दें।
- ऎसी का पानी व्यर्थ न जानें दें, बल्कि एकत्र करके इसका पुनः उपयोग करें।
- अपने आर ओ से निकलने वाले पानी का उयोग सिंक में बर्तन धोने के लिए उपयोग करें।
- बाल्टी से नहाए, शॉवर से बहुत पानी बर्बाद चला जाता है।
- हर हालत में मितव्ययी बनें। पानी बचाएं क्योंकि जल है तो जीवन है।
- पानी जीवनदायी पदार्थ है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह हर प्राणी को उपलब्ध हो।
अप्सु अंत: अमृतं, अप्सु भेषजं
_अर्थात जल में अमृत है, औषधि गुण हैं।_
-ऋग्वेद
ये सत्य अनादि काल से स्वीकार्य सर्वमान्य है कि जल ही सृष्टि का आधार है। हम नदियों को माँ का मान देते हैं। आइये, विश्व जल दिवस के अवसर पर इसके सदुपयोग, संवर्द्धन और संरक्षण के प्रति संवेदनशील होकर प्रयासरत हों। जल को व्यर्थ नष्ट न करें और इसे प्रदूषित होने से बचाएं। जल का सम्मान करें।
- जल है तो कल है…..
- शुभ विश्व जल दिवस!!
लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.